
आज का दिन स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ है। रेफ्रिजरेंट और इंडस्ट्रियल गैसों के कारोबार में अग्रणी यह कंपनी 23 जनवरी 2025 को बीएसई पर 120 रुपये प्रति शेयर के मूल्य पर लिस्ट हुई। आईपीओ प्राइस 90 रुपये तय किया गया था, जिससे निवेशकों को लिस्टिंग के पहले दिन ही करीब 33% का शानदार रिटर्न मिला।
कंपनी के आईपीओ को निवेशकों से गजब का रिस्पॉन्स मिला था। आईपीओ के ग्रे मार्केट प्रीमियम ने पहले ही मजबूत लिस्टिंग का संकेत दिया था। इस आईपीओ में शेयर खरीदने वालों ने निश्चित रूप से मुनाफा कमाया है, और यह भारतीय शेयर बाजार में एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है।
आईपीओ का सफर, सब्सक्रिप्शन और सफलता
स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स का आईपीओ 16 से 20 जनवरी 2025 तक खुला था। इस आईपीओ का साइज 199.45 करोड़ रुपये था और प्राइस बैंड 85-90 रुपये प्रति शेयर रखा गया था। लेकिन निवेशकों के उत्साह ने इस आईपीओ को ऐतिहासिक बना दिया। इसे कुल 26,292.40 करोड़ रुपये की बोलियां मिलीं, जो इसके साइज का 188 गुना था।
रिटेल निवेशकों के लिए आईपीओ का 35% हिस्सा रिजर्व था, जो 96.81 गुना सब्सक्राइब हुआ। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स के लिए 50% हिस्सा रिजर्व था, जिसे 173 गुना सब्सक्रिप्शन मिला। वहीं, नॉन-इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स के 15% हिस्से को 422.35 गुना अधिक सब्सक्रिप्शन मिला। इस तरह का रिस्पॉन्स केवल एक मजबूत ब्रांड और सफल बिजनेस मॉडल वाली कंपनियों को ही मिलता है।
बिजनेस मॉडल और संचालन का दायरा
स्टैलियन इंडिया फ्लोरोकेमिकल्स मुख्य रूप से रेफ्रिजरेंट और इंडस्ट्रियल गैसों के उत्पादन, डिबल्किंग, ब्लेंडिंग और प्रोसेसिंग में संलग्न है। यह कंपनी न केवल बड़े पैमाने पर गैसों का उत्पादन करती है, बल्कि प्री-फिल्ड कैन और छोटे सिलेंडर बेचने में भी सक्रिय है।
इसके उत्पाद एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, फायर सेफ्टी, सेमीकंडक्टर निर्माण, ऑटोमोबाइल, फार्मा और मेडिकल्स जैसे विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग किए जाते हैं। कंपनी की चार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स महाराष्ट्र, राजस्थान और हरियाणा में स्थित हैं। ये यूनिट्स विशेष रूप से सुरक्षित माहौल में गैसों को स्टोर और प्रोसेस करने के लिए डिज़ाइन की गई हैं।
स्टैलियन इंडिया को रेफ्रिजरेंट गैसों के उत्पादन में दो दशकों का अनुभव है, जिसने इसे एक प्रतिष्ठित ब्रांड बना दिया है। कंपनी की सफलता में कंपटीटिव प्राइसिंग, उच्च गुणवत्ता और बेहतर सर्विस का महत्वपूर्ण योगदान है।
जोखिम और प्रतिस्पर्धा
हालांकि स्टैलियन इंडिया की लिस्टिंग और बिजनेस मॉडल प्रेरणादायक है, लेकिन कुछ जोखिम कारक भी हैं। कंपनी की आय का 80% हिस्सा रेफ्रिजरेंट गैसों की बिक्री से आता है। अगर इस सेगमेंट में मांग कम होती है या सरकार की नीतियों में बदलाव आता है, तो इसका असर कंपनी की आय पर पड़ सकता है।
कंपनी का अधिकतर कारोबार महाराष्ट्र और दिल्ली पर निर्भर है, जिससे क्षेत्रीय जोखिम भी बना रहता है। इसके अलावा, कच्चे माल की आपूर्ति चीन से होती है, जिससे वैश्विक स्थितियों का प्रभाव कंपनी पर पड़ सकता है।
कंपनी को SRF लिमिटेड, गुजरात फ्लोरोकेमिकल्स लिमिटेड और नवीन फ्लोरीन इंटरनेशनल लिमिटेड जैसी बड़ी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है।