Mutual Fund: सेबी हुआ सख्त, म्यूचुअल फंड के नियमों में किया बड़ा बदलाव

By Apoorva Sharma
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Mutual Fund: सेबी हुआ सख्त, म्यूचुअल फंड के नियमों में किया बड़ा बदलाव
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भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेशकों की सुरक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण नियम परिवर्तनों की घोषणा की है, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। इन परिवर्तनों का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और म्यूचुअल फंड संचालन में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।

1. नए फंड ऑफर (NFO) की राशि का समयबद्ध निवेश

सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (AMCs) को निर्देश दिया है कि वे नए फंड ऑफर (NFO) से जुटाई गई राशि को एक निर्धारित समय सीमा के भीतर निवेश करें। आमतौर पर, यह अवधि 30 दिनों की होती है। यदि AMC इस अवधि के भीतर राशि का निवेश करने में विफल रहती है, तो निवेशकों को बिना किसी निकासी शुल्क (एग्जिट लोड) के अपने निवेश को वापस लेने का विकल्प मिलेगा। इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फंड हाउस बिना उचित योजना के NFO के माध्यम से धन एकत्रित न करें और निवेशकों को शीघ्र लाभ प्रदान करें।

2. म्यूचुअल फंड योजनाओं में स्ट्रेस टेस्टिंग का खुलासा

सेबी ने म्यूचुअल फंड योजनाओं के लिए स्ट्रेस टेस्टिंग (Stress Testing) को अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य निवेशकों को यह समझने में सहायता करना है कि विभिन्न आर्थिक परिस्थितियों में फंड कैसे प्रदर्शन करेगा। स्ट्रेस टेस्टिंग से निवेशकों को फंड की जोखिम प्रोफ़ाइल का बेहतर आकलन करने में मदद मिलेगी, जिससे वे सूचित निर्णय ले सकेंगे।

3. AMC कर्मचारियों के वेतन का म्यूचुअल फंड में निवेश

सेबी ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (AMCs) के कर्मचारियों के वेतन को म्यूचुअल फंड निवेश से जोड़ने का निर्णय लिया है। नए नियमों के तहत, AMCs को अपने कर्मचारियों के वेतन का 1% उनकी भूमिका के आधार पर म्यूचुअल फंड यूनिट्स में निवेश करना होगा। इससे कर्मचारियों की भागीदारी बढ़ेगी और निवेश प्रबंधन में उनकी जिम्मेदारी सुनिश्चित होगी।

4. म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट्स के नामांकन प्रक्रिया में बदलाव

सेबी ने म्यूचुअल फंड और डीमैट अकाउंट्स के नामांकन (नॉमिनेशन) प्रक्रिया में भी बदलाव किए हैं, जो मार्च 2025 से लागू होंगे। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, निवेशकों को नामांकन के लिए पैन, ड्राइविंग लाइसेंस या आधार के अंतिम चार अंक, नॉमिनी का पता, ईमेल, संपर्क नंबर, निवेशक के साथ संबंध, और यदि नॉमिनी नाबालिग है, तो उसकी जन्मतिथि प्रदान करनी होगी। इसका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और बिना दावे की संपत्तियों में वृद्धि को रोकना है।

नए नियमों के संभावित लाभ

  • निवेशकों की सुरक्षा: NFO की राशि के त्वरित निवेश और स्ट्रेस टेस्टिंग के खुलासे से निवेशकों को अपने निवेश पर अधिक नियंत्रण मिलेगा और वे सूचित निर्णय ले सकेंगे।
  • पारदर्शिता में वृद्धि: स्ट्रेस टेस्टिंग और नामांकन प्रक्रिया में बदलाव से म्यूचुअल फंड उद्योग में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे निवेशकों का विश्वास मजबूत होगा।
  • कर्मचारियों की भागीदारी: AMC कर्मचारियों के वेतन का म्यूचुअल फंड में निवेश करने से कर्मचारियों की भागीदारी और जिम्मेदारी बढ़ेगी, जिससे फंड प्रबंधन की गुणवत्ता में सुधार होगा।

इन परिवर्तनों के माध्यम से, सेबी का उद्देश्य म्यूचुअल फंड उद्योग में निवेशकों की सुरक्षा, पारदर्शिता और विश्वास को बढ़ाना है। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इन नए नियमों के बारे में जागरूक रहें और अपने निवेश निर्णयों में इन्हें ध्यान में रखें।

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